What is Article 13 and 14 in Hindi? - The Power of Ambedkar

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Saturday, November 21, 2020

What is Article 13 and 14 in Hindi?

 आर्टिकल 13 क्या है? 



आर्टिकल 13 के अनुसार साविधान लागू होने की दिनांक से  पहले जीतने भी धार्मिक ग्रन्थ, विधि कानून जो विषमता पर आधारित थे उन्हें शून्य घोषित किया जाता है।। 

 व्याख्या -  इस कानून के अनुसार बाबा साहब ने सिर्फ एक लाइन में ढाई हजार सालों की उस व्यवस्था और उस कानून कि किताबों को शून्य घोषित कर दिया जो इंसानों को गुलाम बनाने के लिए इस्तेमाल की जा रही थी।। जैसे - सविधान लागू होने से पहले भारत में मनुस्मृति का कानून लागू था। मनुस्मृति के अनुसार भारत के शूद्र व अति शूद्र और महिलाओं को शिक्षा का अधिकार, संपत्ति का अधिकार नहीं था।। इसके अलावा मनुस्मृति के कानून के अनुसार शुद्र वर्ण को सिर्फ ब्राह्मणों की निस्वार्थ भाव से सेवा करने के लिए ही इस्तेमाल किया जाता था और अति शूद्र लोगों को पानी पीने तक का अधिकार नहीं था। यह विषमता वादी कानून इतनी कठोरता से लागू था जिसे पढ़कर बाबा साहब का हृदय कांप उठा था, बाबा साहब ने इस मनुस्मृति के कानून का अध्ययन किया तो पाया कि भारत की महिलाएं दोहरी गुलाम है ,उन्हें तो सिर्फ इस्तेमाल की वस्तु ही समझा जाता था, इसके अलावा सती प्रथा, बाल विवाह, बेमेल विवाह, वैधन्य जीवन, मुंडन प्रथा आदि क्रूर प्रथाएं लागू थी।। यह प्रथा इसलिए लागू की गई ताकि ब्राह्मणों द्वारा निर्मित जाति व्यवस्था मजबूत बनी रहे और शूद्र व अति शूद्र लोगों की गुलामी मजबूत बनी रहे, 19वीं सदी में ज्योतिराव फुले, सावित्री बाई फुले, विलियम बैटिंग, लार्ड मैकाले आदि विद्वानों ने अपने अपने स्तर पर बहुत कोशिश की इस व्यवस्था को खतम करने की, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर डॉ बाबासाहेब आंबेडकर ने अपनी विद्वता के दम पर 25 दिसंबर 1927 को इस मनुस्मृति नामक विषमता वादी जहरीले ग्रंथ को आग लगा दी और अछूत लोगों को महाड में पानी पीने का अधिकार दिलवाया, इसके बाद बाबा साहब ने पूरे भारत में घूम घूम कर साइमन कमीशन को  मनुस्मृति से प्रभावित शूद्र व अति शूद्र लोगों की वास्तविक स्थिति का परिचय करवाया। 1931-32 में बाबा साहब ने इन 90% लोगों को वोट का अधिकार दिलवाया, सबके लिए प्रतिनिधित्व का अधिकार, विधिमंडल में उचित प्रतिनिधित्व और शिक्षा का दरवाजा राष्ट्रीय स्तर पर सबके लिए खुलवाया, जब संविधान लिखने की बात आई बाबा साहब ने ब्राह्मणवादी तमाम शक्तियां कानून और धर्म ग्रंथ को, जो इंसान को इंसान नहीं मानते थे, महज एक लाइन में घोषित कर दिया। इसी सविधान ने बाबा साहब ने एससी, एस टी, ओबीसी और इनसे धर्म परिवर्तित माइनॉरिटी के लिए 69 आर्टिकल लिखकर इन्हें अलग अलग क्षेत्र में कुछ विशेषाधिकार दिए। इन्हीं 69 आर्टिकल की वजह से हमें मिले अधिकार ही इन ब्राह्मणवादी मनुवादी लोगों को बर्दाश्त नहीं हो रहे है और इन्हें खत्म करवाने के लिए रात दिन प्रोपेगंडा और धर्म, भ्रम,पाखंड अंधविश्वास, साम, दाम, दंड, भेद का इस्तेमाल के रहे हैं और संसदीय बहुमत का गलत इस्तेमाल करते हैं। इसलिए ये लोग भारत में भाईचारा और एकता नहीं चाहते क्योंकि भाईचारा और एकता होने की वजह से इनकी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और हमारी व्यवस्था लागू हो जाएगी। 


 आर्टिकल 14 क्या है? 

 आर्टिकल 14 के अनुसार ऐसा कोई भी कानून फिर से लागू नहीं होगा और ना ही बनेगा जो इंसानों के साथ विषमता वादी व्यवहार करें और उनको बद से बदतर जिंदगी जीने के लिए मजबूर करें, अर्थात भारत के सब नागरिक को समान मानते हुए ही विधि या कानून लागू या बनाए जाए, 

 व्याख्या - भारत की संसद में चाहे किसी भी पार्टी का बहुमत हो, तो इस बहुमत के आधार पर ऐसा कोई कानून नहीं बनाया जाएगा जो पूर्व में मौजूद व्यवस्था को मजबूत बनाए और एक कम्यूनिटी को इस कानून के दम पर तानाशाही करने के लिए सरक्षण प्रदान करता हो, इसलिए आर्टिकल 14 सब भारतीयों के लिए एक समान विधि सहिंता उपलब्ध करवाता है और किसी भी विषमता वादी कानून बनाने के लिए रोकता है, चाहे संसद में कितना भी बहुमत क्यों ना हो।।


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jai bhim

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