परशुराम के बारे में ज्योतिराव फुले के विचार
संदर्भ हे परशुराम जयंती का हिंदू धर्म ग्रंथों और मान्यताओं के अनुसार परशुराम भगवान विष्णु के छठे अवतार एवं ब्राह्मण जाति के कुल गुरु है उत्तर प्रदेश और बिहार में भूमिहार राय लोग भी उनको अपना कुल गुरु मानते हैं क्योंकि वह खुद को भी ब्राम्हण मानते हैं महात्मा ज्योतिबा फुले उन्होंने अपनी किताब गुलामगिरी में जो कि 1893 लिखी गई इस की प्रस्तावना में विस्तार से परशुराम के बारे में लिखा है परशुराम और उसके अत्याचारों का उन्होंने विस्तार से इस में वर्णन किया है.
वे लिखते हैं आज के शुद्र यानी कि पिछड़े अत इनके दिल और दिमाग हमारे पूर्वजों की दास्तान सुनकर पीड़ित होते होंगे इसमें कुछ भी आश्चर्य नहीं होना चाहिए क्योंकि हम जिनके वंश में पैदा हुये है जिनसे हमारा खून का रिश्ता है उनकी पीड़ा से हमारा पीड़ित होना स्वाभाविक है किसी समय ब्राह्मणों की राजसत्ता में हमारे पूर्वजों पर जो कुछ भी, जादतिया हुई उनकी याद आते ही हमारा मन घबरा कर थरथर कापने लगता है, मन में इस तरह के विचार आने शुरू हो जाते हैं कि जिन घटनाओं की याद ही इतनी पीड़ादायक है तो जिन्होंने उन अत्याचारों को सहा होगा उनके उस समय की स्थिति किस प्रकार की रही होगी यह तो वही बता सकते हैं इसके अच्छी मिसाल हमारे ब्राह्मण भाइयों के धर्म शास्त्रों से मिलती है वह यह कि इस देश के मूल निवासी क्षेत्र के लोगों के साथ ब्राह्मण पुरोहित वर्ग के मुखिया परशुराम जैसे व्यक्ति ने कितनी क्रूरता भर्ती यही इस ग्रंथ में बताने का प्रयास किया गया है फिर भी उसकी क्रूरता के बारे में इतना समझ में आया है कि कई क्षत्रियों को मौत के घाट उतार दिया था और फिर उस ब्राह्मण परशुराम ने क्षत्रियों की अनाथ हुई नारियों से उनके छोटे-छोटे निर्दोष मासूम बच्चों को उनसे जबरदस्ती
छीन कर उनके मन में किसी प्रकार की हिचकिचाहट ना रखते हुए बड़ी क्रूरता से मौत के हवाले कर दिया था उस ब्राह्मण परशुराम का कितना जगन ने अपराध था बच्चन इतना ही करके चुप नहीं रहा उसने अपने पति की मौत से व्यथित कई नारियों को जो अपने पेट में गर्भ की रक्षा करने के लिए बड़े दुखी मन से जंगलों पहाड़ों में भागी जा रही थी उनका कातिल शिकारी की तरह पीछा करके उन्हें पकड़ कर लाया और प्रसूति के पश्चात जब उन्हें जब पता चला कि पुत्र की प्राप्ति हुई है तो वह चंद आता और प्रस्तुत बच्चे का कत्ल कर देता था जल्लाद में वह नवजात शिशुओं की जान उनकी माताओं की आंखों के सामने ली होगी,
इस तरह ब्राह्मण पुरोहितों के पूर्वज परशुराम ने हजारों को जान से मार कर उनके बीवी बच्चों को बहुत कष्ट दिए और आज ब्राह्मणों ने उसी परशुराम को सर्वशक्तिमान परमेश्वर आदि कहकर अवतार भी घोषित कर दिया सृष्टि का निर्माता बताया.
इसका स्रोत ज्योतिबा फुले जी की पुस्तक गुलामगिरी से लिया है.
महात्मा ज्योति राव फूले यूनिवर्सिटी लिखा है वह सब कुछ विभिन्न पुराणों के आधार पर लिखा है और यह पुराणों में लिखा हुआ है प्रस्तावना में विस्तार से परशुराम की क्रूरता एवं निर्मलता के बारे में ज्योतिराव फुले ने वर्णन किया है जिन क्षेत्रों के बाद ज्योति राव फूले कर रहे हैं वे आज के राजपूत क्षत्रिय नहीं थे बल्कि शुद्ध होती सूत्रों के पूर्वज राजा थे जैसे शिवाजी यह वही परशुराम है जिसने अपने पिता जमदग्नि के कहने पर अपनी मां रेणुका का अपने फर्ज से से गला काटकर हत्या कर दिया था उनका अपराध यह था कि वह पानी भरने गई थी और बोले वहां देर हो गई थी वह जल क्रीड़ा देखने में मगन हो गई थी परशुराम जैसे निरीक्षण गुरुर जालिम निर्दई और हत्यारा व्यक्ति जिस समाज धर्म जाति एवं व्यक्ति का आदर्श होगा वह समाज धर्म जाति और व्यक्ति कैसे होंगे इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है.
शिव पुराण मार्कंडेय पुराण देवी पुराण स्कंद पुराण आदि में परशुराम के चरित्र का वर्णन है स्कंद पुराण के सहयाद्री खंड में परशुराम और उसके क्षेत्र का वर्णन है सहयाद्री खंड को कोंकण क्षेत्र के रूप में जाना जाता रहा है इस क्षेत्र में चितपावन ब्राह्मणों की उत्पत्ति हुई है सावरकर तिलक और गोडसे इन्हीं चितपावन ब्राह्मणों के यहां पैदा हुए थे
यह लोग परशुराम को अपना पूर्वज मानते हैं
No comments:
Post a Comment