Insult अपमान ये शब्द सुनतेही एक बलकी भावना आती है. लेकिन मेरी आज पोस्ट पढके किसीकी भी ओकात नहीं की आपका अपमान करे, आज आपको बुद्ध जीवन से घटित एक कथा आपको सुनाने वाले है.
एक दिन रोज की तरह महात्मा बुद्ध शाम के समय सूरज को देख रहे थे, तभी उनका शिष बुद्ध के पास आया और बड़े घसे में बोलने लगा.
शिष :- हे बुद्ध आप चलिए.
बुद्ध :- क्या हुआ
शिष :- रामजी नामके एक जमींदार ने मेरा अपमान किया है, आप चलिए, उसके मुर्खता सबक सिकना ही होगा
बुद्ध :- तुम एक बुद्धिस्ट हो, तुमारा अपमान करनेकी किसीके पास शक्ति नहीं है.
शिष :- लेकिन बुद्ध रामजी ने आपका भी अपमान किया. उसको तो जवाब देना ही चाहिए.
बुद्ध सोच ने लगे की इसे अभी कुछ भी करना वेर्त है, क्युकी उसके सर पर बदलेकी भावना सवार
बुद्ध :- अच्छा चलते है लेकिन कल.
शिष :- सोचते हुए टिक है कल चलते है.
भीर सुबह हुई रोज के बुद्ध और उनके शिष अपना काम कर है थे.
बुद्ध ने अपने शिष से पूछा
बुद्ध :- चलो आज हमे रामजी से लड़ने जाना है ना.
शिष :- नहीं बुद्ध मुझे एसे लगता है की मेरी ही गलती थी मुझे रामजी से येसे बात नहीं करनी चाहिए, आज मुझे अपनी गलती का एसास हो गया
बुद्ध :- हस्ते हुए अच्छा तो अभी तो रामजी को मिलना ही होगा
इस कहानी ये पात्ता चलता है की मनुष आज कुछ कहता है और कल कुछ और कहता है.
बुद्ध ने काहा की कूद पर विश्वास हो और अपना मनुबल मजबूत हो तो कोई भी आपका अपमान नहीं कर सकता. अगर कोई आपका अपमान करे तो उसे थोडा समय दे ताकि समय के सात सब कुछ सही होता है
इस पोस्ट को शेयर कीजिये ताकि जो पाखंडी साधू है उनसे बाचा जाए और कमेंट बॉक्स में नमो बुद्धा जरुर लिखिए
धन्यवाद जय भिम
एक दिन रोज की तरह महात्मा बुद्ध शाम के समय सूरज को देख रहे थे, तभी उनका शिष बुद्ध के पास आया और बड़े घसे में बोलने लगा.
शिष :- हे बुद्ध आप चलिए.
बुद्ध :- क्या हुआ
शिष :- रामजी नामके एक जमींदार ने मेरा अपमान किया है, आप चलिए, उसके मुर्खता सबक सिकना ही होगा
बुद्ध :- तुम एक बुद्धिस्ट हो, तुमारा अपमान करनेकी किसीके पास शक्ति नहीं है.
शिष :- लेकिन बुद्ध रामजी ने आपका भी अपमान किया. उसको तो जवाब देना ही चाहिए.
बुद्ध सोच ने लगे की इसे अभी कुछ भी करना वेर्त है, क्युकी उसके सर पर बदलेकी भावना सवार
बुद्ध :- अच्छा चलते है लेकिन कल.
शिष :- सोचते हुए टिक है कल चलते है.
भीर सुबह हुई रोज के बुद्ध और उनके शिष अपना काम कर है थे.
बुद्ध ने अपने शिष से पूछा
बुद्ध :- चलो आज हमे रामजी से लड़ने जाना है ना.
शिष :- नहीं बुद्ध मुझे एसे लगता है की मेरी ही गलती थी मुझे रामजी से येसे बात नहीं करनी चाहिए, आज मुझे अपनी गलती का एसास हो गया
बुद्ध :- हस्ते हुए अच्छा तो अभी तो रामजी को मिलना ही होगा
इस कहानी ये पात्ता चलता है की मनुष आज कुछ कहता है और कल कुछ और कहता है.
बुद्ध ने काहा की कूद पर विश्वास हो और अपना मनुबल मजबूत हो तो कोई भी आपका अपमान नहीं कर सकता. अगर कोई आपका अपमान करे तो उसे थोडा समय दे ताकि समय के सात सब कुछ सही होता है
इस पोस्ट को शेयर कीजिये ताकि जो पाखंडी साधू है उनसे बाचा जाए और कमेंट बॉक्स में नमो बुद्धा जरुर लिखिए
धन्यवाद जय भिम
No comments:
Post a Comment