Indian Media Casteism delete godi media - The Power of Ambedkar

Namo Buddha

 

Chanakyaloka-Telegram-Channel

Thursday, July 30, 2020

Indian Media Casteism delete godi media

क्या आपने कभी सोचा है यह सवाल है राज् का पहली बात श्री मायावती जी रामविलास पासवान, जिग्नेश मेवानी, बालासाहेब  प्रकाश आंबेडकर, रामचंद्र शेखर आजाद मान्यवर कांशीराम जी, जीतन राम मांझी एवं अन्य नेताओं को जो दलित वर्ग से आते हैं उन्हें दलित नेता ही क्यों कहा जाता है.
Dalit+Leader+

दूसरी बात लालू यादव, मुलायम सिंह यादव, शरद यादव, अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव, को यादवों का नेता आजम खान असदुद्दीन ओवैसी इन मुसलमानों का नेता भूपेश बघेल नीतीश कुमार एवं अनुप्रिया पटेल कुर्मी नेता उपेंद्र कुशवाहा केशव प्रसाद मौर्य को कुशवाहा नेता उदय नारायण चौधरी को पासी समाज का नेता मुकेश साहनी को मल्लाह समाज का नेता जैसे विशेषण टैग कर दिया जाता है ज्यादा से ज्यादा इन लोगों को पिछड़ों एवं दलितों के नेता के रूप में ही स्वीकार किया जाता है.


#delete_godi_media
वहीं तीसरी बात नरेंद्र मोदी सुशील मोदी मनोहर लाल खट्टर आदि नेताओं को बनियों का नेता नहीं कहा जाता है.
चौथी बात पंडित नेहरू इंदिरा गांधी राजीव गांधी नरसिम्हा राव अटल बिहारी बाजपेई ममता बनर्जी नवीन पटनायक आदि नेताओं को ब्राह्मणों का नेता कह कर संबोधित नहीं किया जाता है. 
पाचवी बात योगी आदित्यनाथ पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर वर्तमान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इन्हें राजपूतों का नेता नहीं कहा जाता है मतलब साफ है कि भारत की स्वर्ण मीडिया और स्वर्ण समाज आज भी दलित एवं पिछड़े वर्ग के नेताओं को अपना नेता नहीं मानता है इनका मानना है कि वह सिर्फ अपने समाज के नेता हो सकते हैं हमारे नहीं पांव की जूती सर का टॉप कैसे दलित एवं पिछड़े वर्गों से आए हुए नेतृत्व उन्हें किसी भी कीमत पर स्वीकार्य नहीं है पिछड़े एवं दलित मुख्यमंत्री बन कर भी उनका नेता नहीं बन सकते वे एक मुखिया बनकर भी पिछड़े एवं दलित के नेता बन सकते हैं यह सोच ही मनुवादी सोच है खुद को श्रेष्ठ और समाज के बड़े
Godi+media
आपके को निकृष्ट समझने का भाव है शिवराज सिंह चौहान जैसे लोग तो नजरों का धोखा मात्र हैं ऐसे लोग उनके ही एजेंडे पर काम करते हैं यह अनायास नहीं है यह एक गहरी साजिश और सोची समझी राजनीति का हिस्सा है मीडिया प्रदत्त इन विशेषण ओं के कारण दलित एवं पिछड़े समाज के लोग टुकड़ों में बढ़ जाते हैं और इन्हें तोड़ना ज्यादा आसान हो जाता है इसलिए पिछड़े एवं दलित वर्ग के लोगों को भी उन्हें उन्हीं की भाषा में जवाब देना चाहिए सोचेगा जरूर.....


Artical Writter by
Rohini 
The GRH Groups
जय भीम जय सविधान 

No comments:

Post a Comment

Jobs and Study

videotogif_2018.10.26_07.35.20

Popular

JOIN WoodUp