क्रोध
क्रोध हमारे जीवन का एक बहुत बुरा विचार है. जो हमारे जीवन को नष्ट कर देती है आज हम आपको भगवान बुद्ध के साथ घटी के काहानी के बारे में बतायेगे
एक दिन भगवान बुद्ध अपने शीष के साथ बेटे थे तभी एक व्यक्ति आकर बुद्ध को भरी-बुरी सूना रहे थे उने गली दे रहा था तभी बुद्ध मुस्कराए उस व्यक्ति को और क्रोध आ गया और बुद्ध के उपर थूक दिया उस व्यक्ति के विरोध में सभी शीष उट खड़े हो गए. और उस व्यक्ति के विरोध में बोला तभी बुद्ध शीष को शांत रहनेका उदेश दिया बुद्ध ने अपने कपडे से पूछ दिया और बोले और कुछ मेरे मित्र उस व्यक्ति को समझ नहीं आया की बुद्ध क्रोध क्यों नहीं कर रहे है. बुद्ध के शीष ने पूछा की आपने उस मुर्ख व्यक्ति को कुछ क्यों नहीं बोला,
बुद्ध बोले वह व्यक्ति क्रोध में है और क्रोध में व्यक्ति से उलझना और क्रोध को बढ़ावा देना है.
वह व्यक्ति वाहा से चला गया और सोच में पड गया वह बुद्ध के अलावा कुछ भी नहीं सोच पा रहा था. उस व्यक्ति को नींद भी उड़ गई थी, और फिर उस व्यक्ति से सोचा की अब ये चिंता मुझसे बर्दास नहीं हो रहे है अब मुझे बुद्ध से माफ़ी मांग लेनी चाहिए और ये क्रोध मुझे जीने नहीं देगा इसीलिए बुद्ध से माफ़ी मांगने वह बुद्ध के पास गए और उनसे माफ़ी मांगी बुद्ध ने उसे माफ़ कर दिया बुद्ध ने पूछ की तुमे क्रोध में केसा लगता है व्यक्ति बोला जीवन को अशांत करदेना है क्रोध बुरे फेसले लेना है क्रोध अपने आप को दुःख देना और दुसरो को दुःख देना है क्रोध यह सब कहकर वेह व्यक्ति चला गया.
इससे यह साबित होता है की क्रोध हम नष्ट की और ले जाता है क्रोध कभी भी कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए और क्रोध वाले व्यक्ति से उलझना भी मुर्खता होगी
क्रोध हमारे जीवन का एक बहुत बुरा विचार है. जो हमारे जीवन को नष्ट कर देती है आज हम आपको भगवान बुद्ध के साथ घटी के काहानी के बारे में बतायेगे
एक दिन भगवान बुद्ध अपने शीष के साथ बेटे थे तभी एक व्यक्ति आकर बुद्ध को भरी-बुरी सूना रहे थे उने गली दे रहा था तभी बुद्ध मुस्कराए उस व्यक्ति को और क्रोध आ गया और बुद्ध के उपर थूक दिया उस व्यक्ति के विरोध में सभी शीष उट खड़े हो गए. और उस व्यक्ति के विरोध में बोला तभी बुद्ध शीष को शांत रहनेका उदेश दिया बुद्ध ने अपने कपडे से पूछ दिया और बोले और कुछ मेरे मित्र उस व्यक्ति को समझ नहीं आया की बुद्ध क्रोध क्यों नहीं कर रहे है. बुद्ध के शीष ने पूछा की आपने उस मुर्ख व्यक्ति को कुछ क्यों नहीं बोला,
बुद्ध बोले वह व्यक्ति क्रोध में है और क्रोध में व्यक्ति से उलझना और क्रोध को बढ़ावा देना है.
वह व्यक्ति वाहा से चला गया और सोच में पड गया वह बुद्ध के अलावा कुछ भी नहीं सोच पा रहा था. उस व्यक्ति को नींद भी उड़ गई थी, और फिर उस व्यक्ति से सोचा की अब ये चिंता मुझसे बर्दास नहीं हो रहे है अब मुझे बुद्ध से माफ़ी मांग लेनी चाहिए और ये क्रोध मुझे जीने नहीं देगा इसीलिए बुद्ध से माफ़ी मांगने वह बुद्ध के पास गए और उनसे माफ़ी मांगी बुद्ध ने उसे माफ़ कर दिया बुद्ध ने पूछ की तुमे क्रोध में केसा लगता है व्यक्ति बोला जीवन को अशांत करदेना है क्रोध बुरे फेसले लेना है क्रोध अपने आप को दुःख देना और दुसरो को दुःख देना है क्रोध यह सब कहकर वेह व्यक्ति चला गया.
इससे यह साबित होता है की क्रोध हम नष्ट की और ले जाता है क्रोध कभी भी कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए और क्रोध वाले व्यक्ति से उलझना भी मुर्खता होगी
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