क्या अयोध्या में बुद्ध विहार था ?
आप ने अपने जिवन में कभी न कभी अयोध्या का मसला सुना ही होगा क्या आपको पता है की वहा ना तो राम मंदिर है और नाही तो वहा मजिद है वहा तो एक बुद्ध विहार है.
न मंदिर न मजीद अयोध्या में बुद्ध विहार था
SC में एक दावा किया है की अयोध्या में बुद्ध विहार था आपको बाता दू की अयोध्या का नाम पहले साकेत था जो मोर्य शाषन के समय में साकेत ही था याहा पर कोशल नरेश प्रस्न्जित ने बाबरी नामक बुद्ध भिक्षु की मुत्यु के बाद उनकी याद में बुद्ध विहार बनवाया था. राजा प्रस्न्जित बुद्ध के समय दोरान थे बाद में सम्राट अशोक के पुत्र के गदार सेनापति पुशामित्र सिंह पशुराम ने बुद्ध विहार धस्त (तोड़) दिया था. फिर याहा कोई मुसलमान बे मजिद बनवाई थी उसे फिर बाबरी मजिद नाम मिल गाया बाबरी मजिद बाबर ने नहीं बनवाई थी, अगर बाबर बनवाते तो बाबर के समय के तुलसी दास अपने ग्रंथ में जरुर लखते.
फिर अन्यपिछड़ा वर्ग को आगे करके मजिद को गिराया ये मामला हाईकोर्ट में गया एक समिति ने उस जगह की खुदाई की तो वहा कोई राम मदिर के अवशेष नहीं मिले क्यों की वहा मंदीर था ही नहीं जब वहा बुद्ध की मूर्ती मिली तो उसे पब्लिक नहीं किया फिर खुदाई रुख गई और हाई कोर्ट ने जगह के तिन हिसे में बाटा गया. जब बुद्ध अनुयाई को पता जला तो अयोध्य पर दावा टोक दिया अब इस जमीन के तिन हिस्से दारी पेश हो रही है आरएसएस भी जानते है की वहा राम मदिर नहीं बन सकता.
सन 2000 में प्रकाशित हुई एक उपन्यास कितने पाकिस्तान की चर्चा करना सही है जिसमे लिखा है की अयोध्य में ना मजीद थी और नहीं राम मंदिर था.
आपको पता होगा की पहले सम्राट अशोक ने 84000 बुद्ध विहार बनवाये थे वे काहा गायब हो गए. आज भी बोहत से मंदिर में आज भी बुद्ध की मूर्ति देखि जा सकती है.
आज भी बोहत से शिवलिग में बुद्ध की प्रतिमा दिखाई देती है, बुद्ध की प्रतिमा को थोडा बदल कर उसे काल्पनि देवी देवता काम नाम दिया है.
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Artical Writter by
Aadity Yeunkar
The Power of Ambedkar
गौतम बुद्ध चे आवसेस त्याठिकाणी सापडले आहे. तर त्याठीनी बौद्ध विहार करायला हवे....
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