अंधश्रद्धा और बुद्ध की काहानी - The Power of Ambedkar

Namo Buddha

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Tuesday, January 8, 2019

अंधश्रद्धा और बुद्ध की काहानी

अंधश्रद्धा का फ़साना


जय भिम नमो बुद्धा 
आज हम आपको बतायेगे की भगवान बुद्ध के साथ घटित एक कहानी के बारे में ये कहानी अंधश्रद्धा के उपर है. आप सभी लोग जानते है की बुद्ध धम्र अंधश्रद्धा को नहीं मानता व् केवल साइंस को मानता है. 

जब भगवान बुद्ध अपने गुरुकुल की शिक्षा ख़त्म करके लोटे थे तब बुद्ध के गुरु ने काहा की आज हम आप सभी की परीक्षा लेगे, और देखेगे की गुरुकुल का सबसे होणार व्यक्ति माना जायेगा. 
बुद्ध के साथ उनके चचेरे भाई भी प्रतियोगिता उनके भाग में थे, 
सबको पत्ता की बुद्ध ही विजेता होने वाले है लेकिन उनकी क्यों की बुद्ध उनके चचरे भाई देवदत उनसे इर्षा करते थे. 
स्पर्धा में 3 मुक़ाबले होगे जो प्रथम दो मुकाबले में विजेता होगा वो 3 मुकाबले में खेलेगा और जो तीसरे मुकाबले में विजेता होगा वोही प्रथम होगा. पहले मुकाबले में देवदत विजेता हुए, दुसरे मुकाबले में बुद्ध विजेता हुए अब तीसरे मुकाबले में बुद्ध और देवदत का मुकाबला हुआ देवदत की माँ ने अपने बेटे को विजयी करेने के लिए एक जादू टोना वाली एक औरत से मिली उस औरत ने उने एक खिल दिया और काहा की, बुद्ध के लाटी में डाल दे देवदत की माँ ने वेसा ही किया बुद्ध अपने भाई से मुकाबला नहीं करना चाहते थे इसका फायदा उठाकर देवदत उन पर प्रहार कर राहा था, देवदत की माँ को लगा की ये सब जादू का असर है. फिर बुद्ध के गुरु बुद्ध से बोहती नाराज होगये और बुद्ध को बोला की अगर तुमने देवदत को नहीं हराया तो में तुमसे कभी भी नहीं बात करूँगा. बुद्ध को अपने गुरु की इजत करते थे. 
बुद्ध ने अपना दिमाग लगाया और अपना डंडा निचे फेक दिया देवदत दोडा और दंडे पे पैर रख पड कर गिर गया और उसका ही दंडा देवदत के सर लग गया और बुद्ध विजयी हो गए. 
देवदत की माँ ने जब उस जादू टोना वाली औरत से पूछा तो औरत बोली बुद्ध का डंडा निचे गरने की बजा से पासा उलटा पड गया

इससे पत्ता चलता है की लोग सिर्फ जादू टोना को मानते अगर कुछ उलटा हो गया तो उसे कोई अपशगुन का नाम दिया जाता है. 

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