बाबासाहब की रुला देनी वाली एक कथा - The Power of Ambedkar

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Wednesday, January 16, 2019

बाबासाहब की रुला देनी वाली एक कथा

बाबासाहब की रुला देनी वाली एक कथा



आज आपको डॉ बाबासाहब आंबेडकरजी की रुला देने वाली एक कथा सुनाने वाले है आप सभी को पत्ता हो की डॉ बाबासाहब भीमराव आंबेडकरजी ये केवल नाम नहीं तो एक उर्जा का स्त्रोत
आज आपको बाबासाहब और उनके पुत्र राजरत्न की कथा बतायेगे. और ये कोई रामायण या महाभारत जेसी झूटी कहानी नहीं है.

एक दिन 26 नवम्बर 1949 साली बाबासाहेब अपने घर में सोपे पे बेड़े थे, तभी पल में हस रहे थे तो पल में रो रहे थे. उनके साथ शंकर्याचाय शात्री उने कुछ समझ नहीं आरहा था, उनोने बाबा को पुछ्नेका साहस किया.
शास्त्री :- बाबा साहेब आपको क्या हो गया है पल में आप हस रहे हो तो पल में रो रहे हो.
बाबा :- शात्री मेंने अपने जीवन का लक्ष्य हासिल कर लिया है, में अपने जीवन में जड उतार को याद कर राहा हु, तभी मुझे अपने जीवन का समय याद आया तो में रो पड़ा.
शास्त्री :- क्या है वो कोनसा समय है आप मुझे भी बाताये.
बाबा :- जब मेरे जेब में एक भी पैसा नहीं था, उस समय मेरे पुत्र राजरत्न की तबियत ख़राब हो गई थी. तब मेंरे पास पेसे नहीं थे इसीलिए में उसका इलाज नहीं करा. में राजरत्न से बहुत प्यार करता था, मेरा राजरत्न मुझे कब छोडके चला गया मुझे समझ नहीं आया. जब राजरत्न को अतिमसंस्कार करना था तब मेरे पास एक व्यक्ति ने मुझे काहां की राजरत्न को अतिमसंस्कार के लिए एक नया कपडा की जरूरत है, लेकिन मेरे पास एक पैसा नहीं था, में उस समय भी रोता रहा तभी रमा ने अपने साड़ी को ही राजरत्न को अतिमसंस्कार में कपडे के रूप में दिया. में आज जब कोट पहनता हु तब मुझे मेरे राजरत्न की याद आती है. लेकिन में येभी जानता हु की मेरा एक राजरत्न मर गया तो क्या कल मेरे करोड़ो राजरत्न सूट-बूट पेनेगे और मेरे एक भी राजरत्न को अतिमसंस्कार का कपडा भी मिलेगा.
शास्त्री :- बाबा साहेब आप महान हो आपने अपने समाज के लिये अपने पुत्र का बलिदा दे देया.
बाबासाहेब ने अपने पुत्र को खोदिया हमे आज इस काबिल बानाया है की आज भी हम जाहे तो पंतप्रधान कोई दलित बन सकता है लेकिन हम आज बट गए है, इसीलिए आज भी हम बाबासाहब का सपना पूरा नहीं कर पारहे है. बाबासाहब ने तिन मूल मंत्र दिए थे 
शिक्षित बनो, संगठित रहो,  संघर्ष करो।  

आप को बाबासाहब के जीवन की ये बाते केसे लगी ये आप हमे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके बताये 
*जय भिम नमो बुद्धा*


Artical Written by
Gaurav R. Hiwarkar
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