एक दिन बुद्ध और बुद्ध अनुयाई के साथ एक कार्यकम से लोट रहे थे तभी नदी किरानारे कुछ बच्चे खेल रहे थे, वे बच्चे मिटी का घर बना रहे थे. बुद्ध अपने अनुयाई को कहते है की, कुछ समय यहाँ रुकते है और इन बच्चे को ध्यान से देखो आप को जीवन चक्र नजर आएगा.
बच्चे मिटी का घर बना रहे थे सभी बच्चे एक दुसरे से बहतरी घर बनाना चाहते है, एक बच्चे का गलती से पैर दुसरे बच्चे के घर को लग जाता है तो दुसरे बच्चे का घर टूट जाता है. पहला बच्चा अपना घर टूटने के बजेसे दुसरो का भी घर तोटने लगता है जब सरे घर टूट जाते है तो फिर से घर बनाने लगते है वे बच्चे एक दुसरे का घर तोटके फिर एक नया घर बनाने में लग जाते है. तभी एक औरत आती है और बच्चो को कहती है की, बच्चो शाम हो रही है, तुम्हारी माँ तुम लोगो का इंतजार कर रही होगो तभी बच्चे दोड कर घर की और निकल जाते है, वे बच्चे एक दुसरे के घर पे पैर रख कर निकल जाते है, उस समय किसी को ये पत्ता नहीं चलता की कोण किसके घर पे पैर रख रही है कोण किसका घर तोट रहे है.
बुद्ध अपने एक शिष को पूछते है की आपने याह क्या देखा. तो उत्तर में शिष कहते है की, मेने यहाँ तो पूरा जीवन चक्र देखा है इससे ये पत्ता चलता है की हम हमेशा पैसा कमाना चाहते है हमेशा दुसरे से अच्छा करना चाहते है, हम लालच में एक दुसरे की टांग खिचने में लगते है, और अंत में जब समय समाप्त होता है तो जो हमने कमाया वो हमारे हाथ में नहीं रहता.
हम जो चाहते है वो अंत में हमारे हाथ में नहीं रहता। बुद्ध बिलकुल सही.
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Artical Writter by
Shital Ambedkar
The Power of Ambedkar
Jai Bhim
ReplyDeleteBhut achi khani h
ReplyDeleteVeri nice khani hai
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