बच्चो की अनोखी जीवन चक्र की काहानी - The Power of Ambedkar

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Thursday, January 17, 2019

बच्चो की अनोखी जीवन चक्र की काहानी



एक दिन बुद्ध और बुद्ध अनुयाई के साथ एक कार्यकम से लोट रहे थे तभी नदी किरानारे कुछ बच्चे खेल रहे थे, वे बच्चे मिटी का घर बना रहे थे. बुद्ध अपने अनुयाई को कहते है की, कुछ समय यहाँ रुकते है और इन बच्चे को ध्यान से देखो आप को जीवन चक्र नजर आएगा.
बच्चे मिटी का घर बना रहे थे सभी बच्चे एक दुसरे से बहतरी घर बनाना चाहते है, एक बच्चे का गलती से पैर दुसरे बच्चे के घर को लग जाता है तो दुसरे बच्चे का घर टूट जाता है. पहला बच्चा अपना घर टूटने के बजेसे दुसरो का भी घर तोटने लगता है जब सरे घर टूट जाते है तो फिर से घर बनाने लगते है वे बच्चे एक दुसरे का घर तोटके फिर एक नया घर बनाने में लग जाते है. तभी एक औरत आती है और बच्चो को कहती है की, बच्चो शाम हो रही है, तुम्हारी माँ तुम लोगो का इंतजार कर रही होगो तभी बच्चे दोड कर घर की और निकल जाते है, वे बच्चे एक दुसरे के घर पे पैर रख कर निकल जाते है, उस समय किसी को ये पत्ता नहीं चलता की कोण किसके घर पे पैर रख रही है कोण किसका घर तोट रहे है.

बुद्ध अपने एक शिष को पूछते है की आपने याह क्या देखा. तो उत्तर में शिष कहते है की, मेने यहाँ तो पूरा जीवन चक्र देखा है इससे ये पत्ता चलता है की हम हमेशा पैसा कमाना चाहते है हमेशा दुसरे से अच्छा करना चाहते है, हम लालच में एक दुसरे की टांग खिचने में लगते है, और अंत में जब समय समाप्त होता है तो जो हमने कमाया वो हमारे हाथ में नहीं रहता.
हम जो चाहते है वो अंत में हमारे हाथ में नहीं रहता। बुद्ध बिलकुल सही.
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Artical Writter by
Shital Ambedkar

The Power of Ambedkar

3 comments:

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