एक दिन एक व्यक्ति बुद्ध से एक सवाल पूछता है
व्यक्ति :- बुद्ध में इतना दुखी क्यों हु, में इतना परेशान क्यों रहता हु.
बुद्ध :- कहासे हो तुम्ह दुखी, मुझे तो कही नजर नहीं आ रहा.
व्यक्ति :- बुद्ध में भीतर से दुखी हु, में हमेशा परेशान रहता हु, मुझे जीवन में कोई भी सार नजर नहीं आता.
बुद्ध :- पहले मुझे ये बातायो की तुम दुखी कहासे हो, और दुःखके कारण क्या है.
व्यक्ति :- हे बुद्ध में आपि से तो जानने आया हु की मेरे दुखो का कारण क्या है, और आप मुझी से पूछ रहे हो.
बुद्ध :- जब दुःख तुम्हारा तो में केसे कारण बता सकता हु.
व्यक्ति :- आप तो परम ज्ञानी हो.
बुद्ध :- येही तो तुम गलत कर रहे हो, तुमे दुसरोके भरोसे केसे रह सकते हो, में सिर्फ तुम्हे मार्ग बता सकता हु, लेकिन तुम्हारे दुःख को निवर्हन नहीं कर सकता. आज मेरे भीतर कोई भी प्रश्न नहीं है में सम्धानी हु इसीलिए में बुद्ध हु.
व्यक्ति :- तो में क्या करू जो मेरे दुःख ख़त्म हो जाये.
बुद्ध :- अगर आज तुम्ह मर जाते हो तो तुम्हारी सारी चिता एक छोटे से तिनखे से भी छोटी हो जाएगी, या सारे दुःख ख़त्म हो जायेगे.
व्यक्ति :- में इतने जल्दी मरना नहीं चाहता.
बुद्ध :- तुम अपने इच्छा नुसार मरना चाहते हो, लेकिन एसा नहीं है
एक दिन मरना सबको है लेकिन मोंत बोलकर नहीं आती, जब तुम जान जाओगे की जिवन में सुख और दुःख है दोनों होते ही है. अगर तुम जिवन में स्थिरता लाओगे तब तुम जान पाओगे अपने दुखो का निवार्ण कर पओगे. मेरे शब्द तेमे दिशा दिखा सकते है, अगर तुम ये सोचो की मेरे शब्द से तुमारे दुःखो का अंत होजायेगा तो येसा नहीं है, मेरे शब्द सिर्फ दिशा दिखाता है इसपे चलना या नाचलना ये तुम्हारे उपर है.
हम जानते सब कुछ है, पड़ते भी बहुत कुछ है, लेकिन अपने जीवन में अपना ते नहीं. हम सिर्फ दुखो को देखते है सुख को नजर अदाज करते है, बुद्ध कहते है की सुख हमें नाही ज्यादा सुखी कर सकता है, और दुःख हमें ज्यादा निराश कर सकते है, जब हम इससे उपर उट जायेगे तो हमे पत्ता चलेगा की वास्तव कुछ और ही है.
बुद्ध कहते है की में सिर्फ मार्ग बाता सकता हु उसपे चलना ये आप का निर्णय तुमारा है.
आप को बुद्ध के जीवन की ये बाते केसे लगी ये आप हमे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके बताये
*जय भिम नमो बुद्धा*
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