What's My Price
एक बार एक आदमी महत्मा बुद्ध के पास पंहुचा और बुद्ध से पूछा की,
आदमी :- हे बुद्ध मुझे ये जीवन क्यू मिला है, मुझे कोई कम नहीं आता में धरती पर बोज हु बुद्ध आप ही मुझे बताये मेरी जिवन की किमत क्या है. "What's my price"
बुद्ध ने फिर उस आदमी को एक चमकता पत्थर दिया
बुद्ध :- तुम इस पत्थर को लेकर जायो और इस पत्थर की किमत पत्ता कर के आयो, लेकिन इस पत्थर को बेचना नहीं.
आदमी :- जेसा आप कहे में इस पत्थर का असली मुल्य पत्ता करता हु
वे आदमी उस पत्थर को लेकर चला गया. और एक आम बेचने वाले के पास गया.
आदमी :- क्या तुम मुझे इस पत्थर का मुल्य बातायो गे
आम बेचने वाला समझ गया की ये एक किमती पत्थर है
आम बेचने :- में इसके तुमे 10 आम दूंगा
वह आदमी आगे बड गया फिर उसे एक सबजी वाला मिला
आदमी :- क्या तुम मुझे इस पत्थर का मुल्य बातायोगे.
सबजी वाले को भी पत्ता था की उए एक अनमोल पत्थर है, लेकिन उसने कहा
सबजी वाला :- ये कुछ ख़ास पत्थर नहीं है में सिर्फ 1 बोरी आलू दूंगा
आदमी वहासे निकलने लगा तभी
सबजी वाला :- रुक जाओ में 2 बोरी आलू दे दूंगा
आदमी :- नहीं मुझे ये बेचना नहीं है
और वहा से निकल गया, फिर वह जोहरी के पास गया और जोहरी को पत्थर की किमत पत्ता थी.
आदमी :- क्या आप मुझे इस पत्थर का मुल्य बातायो गे
जोहरी :- इस के बदले में तुमे ज्यादा तो नहीं लेकिन एकहजार सोने के सिक्के दुगा.
आदमी :- मन में, लगता है की ये पत्थर अमूल्य है तभी इस इतने ज्यादा है.
जोहरी :- हा ये एक रूबी हिरा है तुम मुझे एक लाख सिक्के के बदले तुम मुझे ये पथर देना
वह आदमी निकल गया और सीधा बुद्ध के पास गया और बुद्ध से पूछा
आदमी :- हे बुद्ध में इस पत्थर को अलग अलग लोगो को दिखाया लेकिन सभी ने इसका मुल्य अलग अलग बताया किसी ने इससे दस आम तो किसी ने एक बोरी आलू तो किसीने इसे एक लाख सिक्के से तोला गया.
बुद्धा :- सबकी अलग अलग सोच होती है. देखो हीरे को इन्सान खोजते है तो मनुष को खुद को स्वयम खोजना पटता है अगर हम खुद को खोज ले तो खुद की किमत पत्ता चल जायेगी.
इससे पत्ता चलता "What's my price" है की खुद की किमत अनमोल है।
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