नमो बुद्ध दोस्तों आज हम आपको शमशान की आग शमशान का रहस्य बतायेगे
बुद्ध के संघ के दरवाजे सभी के लिए खुले थे, बुद्ध के संघ में शामिल होने के लिए हजारो लोग आते थे. कुछ तो सीधे ही बुद्ध के संघ में शामिल हो जाते थे तो कुछ को बुद्ध एक चुनोती देते थे.
एक दिन एक व्यक्ति बुद्ध के पास आया और बुद्ध के संघ में शामिल होने की बात बताई.
बुद्ध ने सोच विचार किया और उस व्यक्ति को संघ में शामिल होने के लिये एक चुनोती रख दी
बुद्ध :- अगर तुम्ह एक दिन और एक रात शमशान में रहोगे तो में तुम्हे अपने संघ में शामिल कर लुगा.
व्यक्ति :- हे बुद्ध में दिन में तो में शमशान में रह लूँगा लेकिन शाम को नहीं रुख सकता, क्यू की रात को भुत प्रेत मुझे पकड़ लेगे
बुद्ध :- क्या तुमने भुत प्रेत देखा है?
व्यक्ति :- नहीं लेकिन भुत के बारे में काफी लोगो से सुना है.
बुद्ध :- तो तुम्हे शमशान जाना ही चाहिए ये सुनेरा मोका है
व्यक्ति :- टिक है बुद्ध आप कहते है तो में जरुर जाऊंगा.
बुद्ध :- टिक है अभी तुम्ह मेरे आश्रम में विश्राम करो कल सुबह शमशान जाना.
वह व्यक्ति सोने चला जाता है और बुद्ध अपने दो अनुयाई से कहते है की कल तुम भी शमशान जाना और इसका ध्यान रखना लेकिन इसे पत्ता नहीं चलना चाहिए.
दुसरे दिन जब सुबह हुई तो वह व्यक्ति बुद्ध से आशिर्वाद ले कर शमशान की और निकल जाता है.
फिर वह वापस आता है और बुद्ध से मिलता है तब बुद्ध उस व्यक्ति से एक ही सवाल पुचते है,
बुद्ध :- क्या देखा शमशान में?
व्यक्ति :- में जब शमशान गया तो वाहा एक व्यक्ति की जीता जल रही थी वाहा के सभी लोग संतुष्ट लग रहे थे, तभी पत्ता चला की ये एक बुजुरक की अर्थी है, लोग कह रहे थे की इस आदमी ने जीवन का सारा सुख लेलिया है.
फिर और दो अर्थी आई एक किसी अमीर की थी तो एक किसी गरीब की है, अमीर व्यक्ति अर्थी और गरीब व्यक्ति की अर्थी में बोहत फर्क था. अमीर व्यक्ति की अर्थी में ज्यादा फुल व लोग थे, तो गरीब व्यक्ति की अर्थी में कम फुल और कम व्यक्ति थे. शमशान में एक उचा वटा था. तो अमीर व्यक्ति की अर्थी उस पर जलाई तो गरीब व्यक्ति की अर्थी निचे जलाई गई, गरीब व्यक्ति की अर्थी भेदभाव की वजसे निचे जलाई गई.
बुद्ध :- तो दोनों ही अर्थी में क्या भेद था?
व्यक्ति :- हे बुद्ध उन दोनों ही अर्थी में कोई भेद नहीं था, दोनों समान रूप से जल रही थी दोन के शरीर समान रूप से जल रही थी, और अंत में जो बचा हो भी समान ही था.
बुद्ध :- क्या तुमें भुत मिले?
व्यक्ति :- नहीं बुद्ध मुझे भुत तो नहीं मिले लेकिन में रत भर डर रहा था कभी हवा से तो कभी आहट से में पूरी तरा डर गया था.
बुद्ध :- तुमे और एक रात शमशान में रहने की जरूरत है तुम्ह एक रात और शमशान रुख जाओ. और तुम्हेने क्या देखा ये मुझे बताना है.
व्यक्ती :- टिक है बुद्ध आप कहते है तो में एक और रात शमशान में जाऊंगा.
सुबह उटकर वह शमशान में जाता है और अगले दिन बुद्ध के पास वापस आ जाता है.
बुद्ध :- अब बताओ क्या तुम्हे वह खास बात पत्ता चली?
व्यक्ति :- हा बुद्ध, में शमशान का राज जान लिया है.
बुद्ध :- बताओ फिर.
व्यक्ति :- शाम को मुझे एक सपना आया. उस सपने में मेरी मोत हो गई थी. मेरी अर्थी लेकर तिस से चालीस लोग मुझे शमशान ले जा रहे थे सभी लोग भाउक थे. मेरे पिताजी बेहद दुखी थे मेरा भाई बेहत ही जादा रो राहा था कुछ लीग तो खुश थे लेकिन दुखी होने का दिखावा कर राहे थे, कुछ लोग कह रहे थे की ये तो सब के सस्थ होना है, तभी मुझे अर्थी से उठाकर चिता पर रख दिया और सारी क्रिया कर्म सुरु किया, में चिता से उठने की कोशिश कर रहा था लेकिन में हिल भी नहीं पा राहा था, में अपने पिता से आखरी बार गले मिलने की कोशिश कर राहा था, में अपने भाई से कहना चाहता था की उसे बेहद प्रेम करता हु, लेकिन धीरे धीरे सारा शरीर जल गया. ओर अंतिम में सिर्फ राख बची थी.
उस रात मुझे कोई भुत प्रेत का डर नहीं लाग और रात भी जल्दी बीत गई. और सुबह हुई तो में आप के पास आगया
बुद्ध :- अब तुम मेरे समूह में शामिल हो सकते हो, जब कोई शमशान में जाता है तो उने समझ जाते है की एक दिन सब को शमशान आना है, ये मोह माया सब नकली है हम खाली हात आये है ओर खाली हट ही लोट जायेगे.
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