साथियों आज हम आपको महात्मा बुद्ध की एक कहानी बताएंगे जो आप सभी जीवन में मदत करेगी. इस कहानी में आपको ''एक हात से कभी ताली नहीं बजती '' ये कहावत स्पष्ट होगी।
महात्मा बुद्ध एक बार एक गांव से गुजर रहे थे, वहां के कुछ लोग उनसे दुश्मनी रखते थे.
उन्होंने महात्मा बुद्ध को रास्ते में घेर लिया और बेतहाशा गालियां देकर अपमानित करने लगे, बुद्ध सुनते रहे जब यह सारे थक गए, तो बुद्ध बोले अगर आप लोगों की बात पूरी हो गई हो तो मैं जाऊं...
वह लोग बड़े हैरान हुए उन्होंने कहा हमने तुम्हें इतनी गालियां दी क्या तुम्हें हम पर क्रोध नहीं आया.
भगवान बुद्ध बोले तुमने देर कर दी अगर तुम 10 साल पहले आए होते और मुझे गालियां देते तो मैं भी तुम्हें बदले में गालियां देता और बात आगे बढ़ जाती तो में तुमसे लड़ भी जाता, अब तू मुझे कितनी भी गालियां दो लेकिन मैं अब गालियां लेने में असमर्थ हूं, सिर्फ देने से नहीं होता लेने वाला भी होना चाहिए. जब आज सुबह में एक गांव से निकला तो वहां के लोग भेट करने मिठाई लाए थे लेकिन मैंने नहीं लिया क्योंकि मेरा पेट भरा था.
और वे लोग मिठाइयों को वापस ले गए, भगवान बुद्ध थोड़ा रुख के कहा अब जो लोग मिठाइयों वापस ले गए वहलोग क्या किया होगा. उनमेंसे एक वक्ति बोला अपने बच्चों परिवार और चाहने वालों बांटी होगी, तुम जो गालियां दिए थे उन्हें मैंने नहीं लिया क्या तुम इन्हें भी अपने बच्चों परिवार और चाहने वालों में बैठोगे.
महात्मा बुद्ध के सारे विरोधी शर्मिन्दा हो गए और बुद्ध के शरण में आगए.
तो साथियों एसे थे हमारे भगवान बुद्ध जो दुश्मनों को भी दोस्त बना लेते है.
Artical Writter by
GauAch
The Power of Ambedkar
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