धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस (Dhammachakra Pravartan Day)
आप सभी को सम्राट अशोक विजयदशमी और धम्मचक्र प्रवर्तन दिन की शुभकामनाएं!
🙏जय भीम नमो बुद्धाय 🙏
धम्मचक्र अनुप्रवर्तन दिवस (DhammaChakra pravartan Din) बौद्ध धर्म के सभी अनुयायियों (Buddhists) के लिए बेहद ही खास पर्व है. वार्षिक रूप से 14 अक्टूबर को धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस मनाया जाता है। (Father Of The Constitution) डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के धर्म परिवर्तन यानी बौद्ध धर्म को अपनाए (Conversion into Buddhism) जाने का प्रतीक माना जाता है. बताया जाता है कि 14 अक्टूबर के दिन ही डॉ. आंबेडकर ने हिंदू धर्म से बौद्ध को अपनाया था. डॉ. आंबेडकर के साथ करीब 600,000 लोगों ने 14 अक्टूबर 1956 को बौद्ध धर्म को अपनाया था, जिसके चलते बौद्ध समुदाय के लोगों द्वारा बहुत सम्मान और उत्साह के साथ इस दिन को मनाया जाता है. चलिए लेख के जरिए इस दिवस का इतिहास और महत्व को जानते है?
धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस का इतिहास और महत्व
भारत वर्ष में जाति प्रथा, रंग भेद नीती बेहद ही कठोर है. हमारे लिए दुर्भाग्यवश की बात है कि देश में आज भी इसका प्रचलन थमा नहीं है.
धम्मचक्र प्रवर्तन दिन को स्वतंत्रता का दिन भी कहते है. ऐसा माना जाता है कि जब कोई भी स्वतंत्र रूप से खुद को परिवर्तित या बदल सकता है. बौद्ध धर्म के इतिहास में एक बेहद ही महत्वपूर्ण दिन है.
धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस के उत्सव को मनाने के लिए इस दिन डॉ. आंबेडकर के कई बौद्ध अनुयायी नागपुर की दीक्षाभूमि पर इकठ्ठा होते हैं. जहां पर लोग धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस की बधाई देते हैं. हालांकि इस साल कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप के इस उत्सव को भी प्रतिकात्म रुप से मनाया जाएगा.
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