In Buddhism Does the soul leave one body and move to another? - The Power of Ambedkar

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Sunday, December 19, 2021

In Buddhism Does the soul leave one body and move to another?

एक सवाल जो हमेशा से पूछा जाता है, क्योंकि इसका जवाब हमारे पास नहीं  होता तो हम सब से यही पूछते रहते हैं कि क्या आत्मा एक शरीर को छोड़कर दूसरे शरीर में जाती है?

The Power Of Ambedkar


क्या हमारा पुनर्जन्म होता है? हम इस बारे में कुछ भी नहीं मालूम लेकिन फिर भी हम से हर कोई यही मानता और समझता है कि हमारा पुनर्जन्म होता है और अगर यह बात सत्य है तो अपने आप आपसे एक सवाल करें की आप किसका किस का पुनर्जन्म है?
क्या आप बता सकते हैं आप किस का पुनर्जन्म है?
क्या आपका और उसका अभी तक कोई लेना-देना है? क्या आप अपने आपको कोई और महसूस कर सकते हैं? या करते हैं जो आप पहले रह चुके हो? 

ऐसा कुछ भी आप महसूस नहीं कर सकते क्योंकि आप जो हैं वहीं रहोगे ना आप किसी का पुनर्जन्म हैं और ना आपका कभी पुनर्जन्म होगा तथागत गौतम बुद्ध आत्मा में विश्वास नहीं करते थे और ना ही उन्होंने कभी कहा कि आत्मा होती है लेकिन, 

फिर भी उन्होंने पुनर्जन्म की यानी अगले जन्म की बात की उन्होंने कहा कि सभी का अगला जन्म होता है अब यह बात बड़ी अजीब सी थी कि एक ओर तो महात्मा गौतम बुद्ध आत्मा की होने को नकार रहे थे और दूसरी ओर अगले जन्म की भी बात कर रहे थे.

 तो क्या बिना आत्मा के पुनर्जन्म हो सकता है यही सवाल अब से 150 ईसवी पूर्व यूनानी शासक मिलिंद ने बौद्ध भिक्षु नागसेन से पूछा था राजा ने नागसेन से कहा कि क्या महात्मा गौतम बुद्ध  पुनर्जन्म को मानते थे नागसेन ने कहा हां बुद्ध पुनर्जन्म को मानते हैं.


राजा ने कहा महात्मा गौतम बुद्ध आत्मा को नही मानते थे लेकिन फिर भी पुनर्जन्म को मानते हैं, क्या यह परस्पर विरोधी बातें नहीं है, 

नाग सेन ने कहा नहीं विरोधी बातें नहीं है यह बिल्कुल भी विरोधी बातें नहीं है राजा ने कहा क्या बिना आत्मा की पुनर्जन्म संभव है नाक सेन ने कहा हां बिल्कुल ऐसा ही होता है. राजा ने कहा मुझे समझाएं कि ऐसा कैसे हो सकता है. जहां एक आत्मा एक शरीर से दूसरे शरीर में नहीं जा सकती वहां पुनर्जन्म कैसे हो सकता?

नाक सेन ने कहा हां बिल्कुल हो सकता है राजा ने कहा ऐसे नहीं मुझे कोई उदाहरण देकर समझाएं कि ऐसा कैसे हो सकता है नाग सेन ने कहा राजन यदि एक आदमी एक दीपक से दूसरा दीपक जलाए तो क्या कहा जाएगा कि एक दीपक की आत्मा दूसरे दीपक में चली गई है राजा ने कहा नहीं ऐसा नहीं है. दोनो दीपक एक एक दूसरे से अलग है.



मैं अभी भी ठीक से नहीं समझा थोड़ा गहराई से समझाएं नाग सेन ने कहा राजन दीपक को अपने शरीर की तरह देखो यह दीपक कब बनता है जब मिट्टी पानी में मिलती है और इसको एक आकार दिया जाता है तब और अग्नि से पकाती है.

तब शरीर रूपी यह दिया तैयार हो जाता है लेकिन फिर भी यह दिया तभी बनता है जब इसमें जब मन रूपी एक बाती लगाई जाती है और इसमें भोजन रूपी तेल डाला जाता है इसके बाद भी यह संपूर्ण नहीं है यह तब तक संपूर्ण नहीं होता जब तक कि इसको किसी दूसरे दीए से जलाया नही जाता दिए का प्रकाशित हो जाने के बाद अगर दिए से किसी दूसरे दीए को प्रकाशित नहीं किया जाता तब यह जल जलकर समाप्त हो जाता है. 

मनरूपी बाती राख हो जाती है. भोजन रूपी तेल प्रकाश देकर अपना रूप और आकार बदल कर वायु में मिल जाता है॰ और यह दिया टूट कर टूटकर मिट्टी में मिल जाता है. 

राजन क्या आप बता सकते हैं कि अब मैं दिया कहां है राजा ने कहा कहीं नहीं अब वह दिया कहीं नहीं रहा नाग सेन ने कहा कई चीजों से मिलकर शरीर संगठित होता है एक रूप और आकार लेता है और इस रूप और आकार का समन्वय शरीर को चलाएं मान करता है जब तक दीए में तेल होता है यह चलता रहता है तेल खत्म होने पर शरीर टूट जाता है मृत हो जाता है और वापस अलग-अलग घटनाओं में मिल जाता है लेकिन चीजें कहीं नहीं जाती राजन अगर इस दिए से किसी दूसरे दीए को प्रकाशित किया जाए तो क्या हम कह सकते हैं कि पहले दिए की आत्मा निकल कर दूसरे दीए में चली गई.

राजा ने कहा नहीं दोनों दी एक दूसरे से अलग है ऐसा कैसे कहा जा सकता है नाक से ने कहा राजन पहला दिया बुझ जाता है लेकिन उसी की ओर जाते प्रकाशित दूसरा दिया जल रहा है इसलिए इसमें जो चेतना है या उर्जा है वह कहां से आई है राजा ने कहा वह पहले से आई है नाक सेन ने कहा राजन यही है बिना आत्मा की पुनर्जन्म यह पहले दिए का ही पुनर्जन्म है क्योंकि उसके बिना इसका होना असंभव है और उसी की उर्जा से यह चलाया बाण है फिर भी यह पहला दिए नही है वे दूसरा दिया है, वे है लेकिन नही है.

अंतर में ध्यान से देखोगे तो सभी दिए की मिट्टी एक ही है और उसे सूखने के लिए अग्नि भी एक ही है वह जिस प्रकाश से ऊर्जीत होते है वह भी एक ही है, लेकिन फिर भी अलग अलग दिए प्रकाशित होते है और हर दिए अलग नजर आता है.

नाक सेन ने काहा राजन आत्मा एक शरीर से दूसरे शरीर में जाए बिना पुनर्जन्म हो सकता है.

राजन ने कहा क्या आत्मा जेसी कोई चीज होती है?

नाक सेन ने कहा अगर बुद्ध की नजर से देखा जाए तो आत्मा जेसी कोई चीज नहीं होती

राजा ने कहा बोहत अच्छा मुझे ये समझने ने के लिए धन्यवाद.....



The Article Write By

Achal 

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