Wrong thoughts will not come in Mind in Hindi - The Power of Ambedkar

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Sunday, June 5, 2022

Wrong thoughts will not come in Mind in Hindi

एक बार एक जवान लड़का गौतम बुद्ध के पास आता है और कहता है, बुद्ध मेरे मन में इतनी अश्लील विचार क्यों आते हैं? मेरे मन में अक्सर कामवासना के विचार चलते रहते हैं जिनके बारे में सोच सोच कर मैं अपना बहुत का समय और ऊर्जा बर्बाद कर देता हूं जिनकी वजह से मैं शांत रह नहीं पाता और हमेशा ही विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण महसूस करता हूं.





बुद्ध ने मुस्कुराते हुए कहा क्या तुम्हें पता है कि कामवासना होती क्या है, लड़के ने कहा बुद्ध मुझे यह तो नहीं पता कि कामवासना का मतलब क्या है लेकिन यह जो कुछ भी है बहुत बुरी है, बुद्ध ने का सबसे पहले तो तुम यह समझो कि प्राकृतिक रूप से जो भी हमारे अंदर है वह बुरा नहीं है.


हमारे जीवन में उसकी कुछ ना कुछ जरूरतें हैं वासना एक प्रकार की भावना है जो हमें किसी न किसी चीज की कमी का एहसास दिलाती है फिर हम उस कमी की पूर्ति के लिए उस चीज की आकर्षित होना शुरु कर देते हैं,

जैसे अगर किसी के पास तो उसके अंदर धन के प्रति आकर्षण यानी धन की भावना उत्पन्न हो जाएगी तो कामवासना कुछ और नहीं बल्कि एक प्रकार की कमी एक प्रकार की जरूरत का एहसास है, और जब यह जरूरत शारीरिक हो तो हम इसे कामवासना कह देते हैं.


लड़के ने कहा यह तो समझ में आ गया कि कामवासना का मतलब क्या है, लेकिन यह हमारे अंदर आती कहां से हैं, कैसे होती है?

बुद्ध ने कहा कामवासना कहीं से आती नहीं बल्कि यह प्राकृतिक रूप से हमारे अंदर ही मौजूद है और इसका होना जरूरी है क्योंकि यही मानव जाति के विस्तार का आधार है.

लड़के ने कहा जब कामवासना प्राकृतिक रूप से हमारे अंदर मौजूद है तब फिर लोग कामवासना को गलत क्यों बोलते हैं? बुद्ध ने कहा यह एक बहुत बड़ी समस्या है कि लोगों ने कामवासना को गलत नजरिए से देखना शुरू कर दिया है इसे दबाने की कोशिश करना शुरू कर दिया है.

कामवासना होना गलत नहीं है बल्कि कामवासना बेलगाम हो देना गलत है, केवल उसी के लिए जीना यह गलत है. 


तुम्हें क्या लगता है जानवरों में भी काम वासना होती है लड़के ने कहा हां जरूर होती है क्योंकि आख़िर जानवरों को भी तो पीढ़ी आगे बढ़ानी है, फिर हम जानवरों की कामवासना को गलत क्यों नहीं कहते लड़के ने कहा पता नहीं आप ही बताएं क्योंकि जानवर अपनी कामवासना का उपयोग सिर्फ स्नात्ति उत्पन करने के लिए करते हैं उसे खुशी प्राप्त करने के लिए नहीं और ना ही सुख भोगने के इरादे से क्योंकि जानवरों को प्रकृति ने इतनी सोचने समझने की क्षमता नहीं दी, कि वह अपनी कामवासना को अपने क्षणिक सुख का आधार बना सके जबकि हम इंसान अपनी सोचने समझने की क्षमता का उपयोग करके प्रकृति में पाई जाने वाली हर चीज का अपने सुख और आनंद के लिए उपयोग करने का प्रयास करते हैं. 


हम इंसानों ने कामवासना के साथ भी यही किया है इसे अपने आनंद और भोग का आधार बना ना को प्राप्त भावना को प्रकृति ने मानव जाति का अस्तित्व बनाए रखने के लिए हमारे अंदर डाला था उसे हमने जीवन का सर्वोच्च बना रखा है और इंसानी कामवासना का यह बेलगाम होना ही उसके गलत होने का कारण है.


लड़के ने कहा बुद्ध यह कामवासना हावी होने का कारण क्या है? बुद्ध ने कहा कामवासना के बेलगाम होने के कारण हैं जिसमें से पहला कारण है जीवन

किसी बड़े उद्देश्य का ना होना बुद्ध उस लड़के से पूछा जब तुम किसी काम में व्यस्त होते हो तब भी तुम्हारे दिमाग में विचार आते हैं?

लड़के ने कहा नहीं बुद्ध में जब व्यस्त होता हु तो मेरे दिमाग में अश्लील विचार नहीं आते है. 

बुद्ध ने कहा हमारा दिमाग एक बार में सिर्फ एक चीज के बारे में ही सोच सकता है इसलिए जब हमारे दिमाग में कोई दूसरे विचार चल रहे होंगे तो अश्लील विचार आ ही नहीं सकते अगर हमारे जीवन में कोई बड़ा और स्पष्ट लक्ष्य है और अगर हम उसके प्रति पूरी तरीके से समर्पित है तो हमारे पास इतना समय ही नहीं होगा यह फालतू विचार हमारे मन में घर कर सके ऐसे विचार उठते भी हैं तो हमारे मजबूत लक्ष्य के विचार इन्हें आसानी से विस्थापित कर देंगे.

लेकिन समस्या यह है कि अधिकतर लोगों के पास एक मजबूत और स्पष्ट लक्ष्य कमी है.

बुद्ध ने कहा कामवासना के बेलगाम होने का दूसरा कारण है.

बुद्ध ने आगे कहा जब किसी विचार को दबाने का उसका दमन करने का प्रयास किया जाता है और मजबूती के साथ उभरकर आता बाकी वासना के विचारों के साथ भी किया जा रहा है अगर मैं तुमसे कहूं कि आम के बारे में मत सोचना तो तुम्हारे मन में किस चीज प्रतिमा आई, उस लड़के ने कहा सबसे पहिले मेरे मन में आम की प्रतिमा आई वह इसी प्रकार जब हम अश्लील विचारों को रोकने का प्रयास करते हैं तो और मजबूती के साथ हमारे अंदर आती हैं इसलिए

भी विचारों को दबाने की कोशिश ना करें यह तो मैंने भी महसूस किया है वह इंसान होने का

बुद्ध ने कहा कामवासना का तीसरा कारण है हमारा अपने विचारों के प्रति जागरूक ना होना हमारे मन में ऐसे विचार चल रही हैं हम इस पर कभी ध्यान ही नहीं देती हमारे मन में उठने वाले विचारों के बारे में एक अनोखी बात यह है कि जब हम किसी एक चीज के बारे में विचार करते हैं तो हमारा मन उसी से संबंधित और भी विचार हमारे सामने रखना शुरु कर देता है और फिर ऐसे ही हमारे मन में विचारों के की शृंखला बन जाती है जिस पर हम उलझकर रह जाते हैं ऐसा ही होता है किसी को देखकर अपने मन में एक विचार पैदा किया फिर हमारा मन अपने आप ही बना देता है जिनके बारे में सोच सोच कर सोचकर हम अपनी बहुत सी उर्जा और समय बर्बाद कर देते हैं इसलिए पूरी जागरूकता के साथ अपने अंदर उठने वाले विचारों पर ध्यान देना जरूरी है.



बुद्ध ने कहा अश्लील विचारों के हावी होने का चौथा कारण है बुरी सोच और विचारों वाले लोगों की संगति करना कई बार ऐसा होता है की कामुकता हमारे अंदर नहीं होती लेकिन कुछ के साथ रहने की वजह से यह हमारे अंदर हावी हो जाती है लड़के ने कहा हां यह बात तो मैंने खुद महसूस की है इसलिए बुरे विचारों और इन लोगों से दूरी बना बनाकर रखनी चाहिए 

लड़के ने कहा यह तो समझ में आ गया कि कामवासना भी कैसे होती है लेकिन इसे हावी होने से रोका कैसे जा सकता है.


ध्यान के माध्यम से आप अपने अंदर स्थित आनंद के केंद्र में स्थापित हो जाते हैं जिसके सामने दुनिया का हर भोग विलास बार लगता है ऐसा नहीं है कि आप ध्यान में उतरने के बाद वह सब सोचने और करने में सक्षम नहीं होते बल्कि आप उससे ऊपर उठ चुके होते हैं और तर्क दें आपको छोटी और बड़ी लगती है लड़के ने कहा लेकिन ध्यान की शुरुआत कहां से करे बुद्ध ने कहा सबसे पहले तुम खुद के साथ अकेले में समय बिताना शुरू कर दो क्योंकि जो इंसान सबसे ज्यादा समय बिताता है उसको सबसे ज्यादा जानने लगता है और जब तुम खुद को जानना शुरु कर दोगे तो यह सारे भौतिक सुख तूमें छोटे लगने लगेगे और फिर एक दिन ऐसा भी आएगा जब तुम्हारे चाहे बिना तुम्हारे दिमाग में किसी भी प्रकार के विचार आना बंध हो जायेगे.


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Pronima

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